रघुराम राजन, अमर्त्य सेन और अभिजीत बनर्जी ने सरकार को दिए ये 10 सुझाव

UMESH NIGAM

मुंबई   :      लॉकडाउन की वजह से 24 मार्च से सबकुछ बंद है, जिससे हर रोज बड़ा नुकसान हो रहा है. भारत में पहले से ही अर्थव्यवस्था और नौकरियों को लेकर चिंताएं हैं. अब कोरोना संकट से और गहरा गया है. इस बीच भारतीय मूल के तीन बड़े अर्थशास्त्री आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी ने एक लेख लिखा है. तीनों ने मिलकर अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में ये लेख लिखा है.इन तीनों अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अर्थव्यवस्था की गति, आमदनी और नौकरियों को लेकर चिंताएं हैं. उन्होंने लेख के माध्यम से कई सुझाव दिए हैं.भारतीय अर्थव्यवस्था दबाव में है, इस महामारी के बीच सरकार को सोझ समझकर खर्च करना होगा, लेकिन उन लोगों की मदद में कटौती नहीं करनी होगी, जिन्हें फिलहाल सरकारी मदद की सख्त जरूरत है. कई सेक्टर्स और बड़ी आबादी को तत्काल मदद की जरूरत है.लॉकडाउन की वजह देश में सबकुछ ठप है, जिससे बड़े पैमाने पर लोगों की रोजी-रोजी जा चुकी है, बेरोजगारी बड़ी समस्या बनती जा रही है. अभी को जो डिलीवरी सिस्टम में उसमें बदलाव होना चाहिए. जिस तरह से लॉकडाउन तोड़ने के मामले सामने आ रहे हैं इसमें मजबूरी के साथ-साथ जोखिम भी है. लेकिन जो लोग लॉकडाउन तोड़ रहे हैं उनकी बुनियादों जरूरतों को ध्यान में रखकर जल्द कदम उठाने की जरूरत है. फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के स्टॉक्स भरे पड़े हैं. मार्च 2020 तक FCI के पास 7 करोड़ टन का स्टॉक है. बफर स्टॉक की तुलना में यह तीन गुना अधिक है. इसलिए सरकार को सबसे पहले गरीबों तक अनाज पहुंचाना चाहिए.सरकार को आभाष हो गया है कि कृषि बाजार के लिए संकट की स्थिति खड़ी हो चुकी है. इसलिए अब किसानों से स्टॉक्स खरीदने के लिए सरकार लगातार जरूरी कदम उठा रही है. नेशनल इमरजेंसी के इस दौर में पुराने स्टॉक को खर्च करना सबसे जरूरी कदम है. सरकार इसपर काम कर रही है.इन अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सरकार ने अगले 3 महीने तक प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम प्रति महीने अनाज देने का ऐलान किया है, जो बेहतर कदम है. लेकिन इसे 6 महीने तक देने की जरूरत है.तीनों अर्थशास्त्रियों ने लिखा है कि सरकार को गरीबों में अनाज और कैश वितरण के लिए राशन कार्ड और जनधन खाते से ऊपर उठकर सोचना होगा. क्योंकि बड़े पैमाने पर गरीबों के पास ये सुविधाएं नहीं है. उन्होंने इसके लिए झारखंड का उदाहरण दिया है, जहां बड़े पैमाने पर राशन कार्ड पेंडिंग पड़े हैं. बेहतर होगा कि तुरंत अस्थाई राशन कार्ड जारी किए जाएं. स्कूल बंद है, लेकिन स्कूल मील को बच्चों के घर तक पहुंचाने की व्यवस्था होनी चाहिए, साथ ही प्रवासी मजदूरों और घर से बाहर रहने वाले लोगों के लिए पब्लिक कैंटीन की व्यवस्था की जानी चाहिए. इन व्यवस्था को तुरंत NGO की मदद शुरू की जा सकती है.सरकार उन प्रभावित गरीबों को तुरंत कैश ट्रांसफर करना चाहिए, जिनकी रोजी-रोटी लॉकडाउन खुलने के बाद भी शुरू होने की संभावना नहीं हैं, अभी जो केंद्र सरकार कैश ट्रांसफर कर रही वो काफी नहीं है. किसानों के साथ-साथ मजदूरों को कैश बेनिफिट मिलना चाहिए. सभी को कम से कम 5-5 रुपये कैश ट्रांसफर करने की जरुरत है.रबी फसल तैयार है, जिसे सरकार को खरीदारी के बारे में फैसला लेना होगा. साथ ही किसानों को अगली फसल के लिए पैसे और खाद की जरूरत होगी. दुकानदारों को देखना होगा कि वो अपने स्टॉक्स को कैसे पूरा करें. बहुत लोगों को यह देखना होगा कि वो अपने पुराने लोन को कैसे चुकाएं.अर्थशास्त्रियों ने कहा कि इस वक्त राज्यों को केंद्र से मिलने वाले फंड भी समय पर जाना चाहिए, राज्यों को भी गरीबों तक मदद तुरंत पहुंचाने के बारे प्लान तैयार करना चाहिए. जहां तक उद्योग की बात है कि कुछ इंडस्ट्रीज को सख्त मदद की जरूरत है, अब सरकार सोचना होगा सबसे ज्यादा प्रभावित इंडस्ट्रीज को कैसे मदद की जाए.