RBI निगरानी में को-ऑपरेटिव बैंक

UMESH NIGAM

नई दिल्ली   :    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को कैबिनेट बैठक हुई. इस बैठक में मोदी सरकार ने कई ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं. कैबिनेट बैठक में आर्थिक विकास को गति देने, किसानों, गांवों और छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देने पर जोर रहा. इसके साथ ही अंतरिक्ष विज्ञान और बैकों के संबंध में भी बड़े सुधार के अध्यादेश को मंजूरी दी गई है.अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की राष्ट्र को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में अहम फैसले लेते हुए निजी कंपनियों के लिए भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने का ऐलान किया है. इससे इस क्षेत्र में सुधारों के साथ ही निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी बढ़ावा मिलेगा.कोरोना वायरस के संकट में मदद के लिए देश के शिशु मुद्रा लोन धारकों को मोदी सरकार ने राहत दी है. इस लोन पर 2 फीसदी के ब्याज छूट को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज के तहत ही इसका ऐलान किया था. देश में इसका लाभ करोड़ों लोगों को मिलेगा. फिलहाल शिशु लोन पर 10 से 11 फीसदी सालाना ब्याज दर है. जिस पर अब दो फीसदी की छूट मिलेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट बैठक में बैंकों को लेकर बड़ा ऐलान किया गया. कैबिनेट बैंठक में को-ऑपरेटिव बैंक को लेकर एक अहम फैसला लिया गया है. इस फैसले के तहत अब देश के सभी सहकारी बैंक (अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक हो या मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक) रिजर्व बैंक की निगरानी में आएंगे. अभी देश में 1482 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक और 58 मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक हैं. इनका ऑडिट आरबीआई नियमों के तहत होगा.अगर कोई बैंक वित्तीय संकट में फंसता है, तो उसके बोर्ड पर निगरानी भी आरबीआई ही रखेगा. हालांकि, प्रशासनिक मसलों को रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव्स देखते रहेंगे. सरकार का कहना है कि इन बैंकों के आरबीआई की निगरानी में आने के बाद 8.6 करोड़ से अधिक जमाकर्ताओं को भरोसा मिलेगा. यह आश्वासन मिलेगा कि उनका बैंकों में जमा 4.84 लाख करोड़ रुपया सुरक्षित है.