मप्र सरकार को अब विद्युत वितरण कंपनियों को हर महीने सब्सिडी का भुगतान देना होगी

UMESH NIGAM

BHOPAL -मप्र सरकार को अब विद्युत वितरण कंपनियों को समय पर हर महीने सब्सिडी का भुगतान करना होगा … ऐसा नहीं करने पर केंद्र सरकार से बिजली के क्षेत्र में मिलने वाली आर्थिक मदद रुक सकती हैं … राज्य सरकार सब्सिडी भुगतान में टाइम पीरियड की छूट चाहती थी … लेकिन केंद्र सरकार फिलहाल इस मामले में कोई रियायत देने के मूड में नहीं है … मध्यप्रदेश की सरकार साल भर में कभी भी सब्सिडी देने की छूट चाहती है … साल के आखिरी में केंद्र सरकार सब्सिडी की जवाबदेही तय करें … यदि सब्सिडी तुरंत दी जाएगी तो वह पैसा तुरंत चुकाना होगा … प्रदेश के खजाने में अभी इतना पैसा नहीं है … साल भर के पीरियड में सरकार बजट एडजस्टमेंट कर लेती है … मासिक या तिमाही भुगतान में एडजस्टमेंट नहीं हो सकेगा … राज्य सरकार सब्सिडी की राशि की तरह हिसाब और ऑडिट रिपोर्ट भी सालाना देना चाहती है … वित्तीय वर्ष के अंत में पूरी रिपोर्ट देने की बात राज्य सरकार ने कही थी … लेकिन केंद्र ने इसे नहीं माना है … मध्य प्रदेश को हर महीने ऑडिट रिपोर्ट देने से उसकी हर महीने की जवाबदेही तय हो जाएगी … बजट नहीं होने की स्थिति में मध्य प्रदेश की सरकार डिफॉल्टर ग्रेड में आ सकती है … दरअसल ऊर्जा मंत्रालय केंद्रीय योजनाओं की आर्थिक मदद में त्वरित जवाबदेही तय करना चाहती है … बिजली में जो राज्य सरकार को आर्थिक मदद मिलती है … उसका हिसाब अभी सालों की देरी से केंद्र सरकार को मिलता हैं … केंद्रीय मंत्रालय अब इन सब जानकारियों को ऑनलाइन करने की तैयारी कर रहा है … इसी वजह से नए नियम बनाए गए हैं … अभी राज्यों के स्तर पर एक मद के बजट का उपयोग दूसरे मद में कर लिया जाता है … साल के आखिर में समायोजन कर ऑडिट दे दिया जाता है … नियमानुसार एक मद का बजट दूसरे मद में उपयोग नहीं कर सकते … मप्र की तीनों बिजली कंपनियों को सालाना करीब 32 हजार करोड़ की राशि सब्सिडी के एवज में सरकार को देना चाहिए … लेकिन राज्य सरकार दे नहीं पाती हैं … घरेलू उपभोक्ताओं के लिए लागू योजना में …150 यूनिट तक की मासिक खपत पर प्रथम 100 यूनिट तक … अधिकतम 100 रुपए का बिजली का बिल दिया जाता है … इसी तरह अनुसूचित जाति एवं जनजाति के बीपीएल … घरेलू उपभोक्ता, जिनकी मासिक खपत 30 यूनिट है … उनसे मात्र 25 रुपए प्रति माह के मान से 4 माह में 100 रुपए लिए जाने का प्रावधान है … इधर कृषि उपभोक्ता को भी विद्युत दरों में राहत मिलती हैं … जिसमें 10 हॉर्सपावर तक की क्षमता के बगैर मीटर वाले स्थायी कृषि पम्प उपभोक्ता को 750 रुपए प्रति हॉर्सपावर प्रति वर्ष की फ्लैट दर ही देना होती हैं … बाकी राशि राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में दी जाती हैं … जबकि 10 हॉर्सपावर से अधिक की क्षमता के मीटर रहित स्थायी कृषि पंप उपभोक्ता से 1500 रूपये प्रति हॉर्सपावर प्रति वर्ष की फ्लैट दर बिल की वसूली होती हैं .. बिल की बाकी राशि राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में वितरण कंपनियों को दी जाती हैं …

– मप्र सरकार को अब विद्युत वितरण कंपनियों को हर महीने सब्सिडी का भुगतान देना होगी
– ऐसा नहीं करने पर केंद्र सरकार बिजली के क्षेत्र में देने वाली आर्थिक मदद रोक सकती हैं
– राज्य सरकार सब्सिडी भुगतान में टाइम पीरियड की छूट चाहती है …
– केंद्र सरकार फिलहाल इस मामले में कोई रियायत देने के मूड में नहीं है
– ऊर्जा मंत्रालय अपनी योजनाओं की आर्थिक मदद में त्वरित जवाबदेही तय करना चाहती हैं
– केंद्रीय योजनाओं की आर्थिक मदद का हिसाब अभी सालों की देरी से देती हैं राज्य सरकार
– नए नियमों से एक मद का बजट दूसरे मद में उपयोग नहीं कर सकते
– अभी राज्यों के स्तर पर केंद्र के एक मद के बजट का उपयोग दूसरे मद में कर लिया जाता है
– साल के आखिर में केंद्रीय योजनाओं के बजट को एडजस्ट कर ऑडिट दे दिया जाता था
– तीनों बिजली कंपनियों को सालाना 32,000 करोड़ की राशि सब्सिडी में राज्य सरकार देती हैं