मप्र का फारेस्ट कवर एरिये में 68.49 वर्ग किलोमीटर की हो गई वृद्धि

UMESH NIGAM

BHOPAL– मप्र के फारेस्ट कवर एरिये में इस साल 68.49 वर्ग किलोमीटर का इजाफा हो गया है … इधर संरक्षित वनों के बीच में स्थित 190 से अधिक राजस्व और वन ग्रामों को पुनर्स्थापित करने से वन्य प्राणियों के रहवास स्थलों में भी 360 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है … वर्ष 2018 में बाघों की गणना में 526 बाघ संरक्षित वन क्षेत्रों से बाहर मिले थे … आमतौर पर फारेस्ट कवर एरिया और वन्य प्राणियों का रहवास क्षेत्र लगातार घटते जा रहे थे … वन सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार बीते 6 सालों में मध्यप्रदेश में तकरीबन 100 वर्ग किलोमीटर से अधिक का वन क्षेत्र कम हुआ था … इतना ही नहीं मध्यप्रदेश में एक जनवरी 2015 से 5 फरवरी 2019 तक 12,785 हेक्टेयर वन भूमि … दूसरे कामों के लिए दे दी गई थी … फॉरेस्ट कवर को लेकर हर 2 साल में रिपोर्ट जारी होती है … इसके हिसाब से वर्ष 2013 में फॉरेस्ट कवर 77,552 वर्ग किलोमीटर था … जो वर्ष 2015 में घटकर 77462 वर्ग किलोमीटर और वर्ष 2017 में 77,414 वर्ग किलोमीटर हो गया था … यह वर्ष 2019 में थोड़ा बढ़कर 77,482 वर्ग किलोमीटर तक पहुंच गया था … अब वर्ष 2021 में फारेस्ट कवर एरिया 77550.49 वर्ग किलोमीटर हो गया है … पिछली बार की तुलना में मप्र के फारेस्ट कवर एरिये में … इस साल 68.49 वर्ग किलोमीटर का इजाफा हुआ है … वर्ष 2013 के फारेस्ट कवर एरिया के आसपास पहुंच रहा है … लेकिन वर्ष 2013 के मुकाबले अभी भी … 2.49 वर्ग किलोमीटर फारेस्ट कवर एरिया कम हैं … फारेस्ट एरिया लगातार कम होने का ही नतीजा हैं कि बाघ और तेंदुओं के साथ ही अन्य वन्य प्राणियों की मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है … मध्य प्रदेश के जंगलों में डेढ़ साल की अवधि में 92 तेंदुओं की मौत विभिन्न कारणों से हुई है … आश्चर्यजनक बात तो यह है कि 80 फीसदी तेंदुए संरक्षित क्षेत्रों से बाहर रहते हैं … यही हाल बाघों का है … काफी संख्या में बाघ भी मारे गए हैं …

– मप्र के संरक्षित क्षेत्रों के भीतर वन्य प्राणियों के लिए उपयुक्त रहवास के क्षेत्रफल में हुआ इजाफा
– 190 से अधिक राजस्व और वन ग्रामों के पुनर्स्थापन से बढ़ गया वन्य प्राणियों के रहवास का दायरा
– जंगलों में वन्य प्राणियों के रहवास में 360 वर्ग किलोमीटर का हो गया इजाफा
– मप्र का फारेस्ट कवर एरिये में 68.49 वर्ग किलोमीटर की हो गई वृद्धि
– वर्ष 2018 की गणना में तकरीबन 40 फीसदी बाघ संरक्षित क्षेत्रों के बाहर विचरण करते थे
– मप्र के जंगलों में डेढ़ साल की अवधि में 92 तेंदुओं की मौत विभिन्न कारणों से हुई हैं
– आश्चर्यजनक बात तो यह है कि 80 फीसदी तेंदुए संरक्षित क्षेत्रों से बाहर रहते हैं
-फारेस्ट एरिया घटने से बाघ, तेंदुए और अन्य वन्य प्राणियों की मौत का आंकड़ा बढ़ रहा