ब्यूरोक्रेसी के चर्चित प्रसंग

BHOPAL – सूबे की एक सीमेंट फैक्ट्री की दिक्कतों को दूर करवाने के लिए तीन मंत्री लामबंद हो गए … सबसे पहले एक बुजुर्ग मंत्री ने प्रमुख सचिव को अपने बंगले पर तलब किया … प्रमुख सचिव जब जिला पंचायत में सीईओ थे तब से मंत्रीजी से अच्छे संबंध थे … इसलिए मंत्रीजी ने प्रमुख सचिव से सीधे-सीधे काम की बात कर ली … लेकिन प्रमुख सचिव ने हाथ खड़े कर दिए … मंत्री ने प्रमुख सचिव से पूछा कि काम कैसे होगा रास्ता बताईये … प्रमुख सचिव ने बताया कि दरबार से कहलवा दें … इतना सुनते ही सीमेंट फैक्ट्री के मालिक के हिमायती तीनों मंत्री अपनी गुहार लेकर दरबार में पहुंच गए … और काम के लिए गिड़गिड़ाने लगे … आखिर दरबार ने इन मंत्रियों की बात मान ली और … प्रमुख सचिव के पास फरमान पहुंच गया … कि इस सीमेंट फैक्ट्री के मालिक की दिक्कतों को दूर कर दें … वैसे दरबार इस काम के लिए 30 सीआर का सीमेंट फैक्ट्री वालों से एग्रीमेंट कर चुके थे … 5 सीआर एडवांस में आ भी गए थे … फिर भी दरबार काम करवाने के लिए टाल मटोल कर रहे थे … अब तीन मंत्री पहुंचे तो उनके कंधों का सहारा लेकर काम करवाने के लिए बोल दिया … सभी का हित जुड़ा हुआ था … इसलिए एक छाते में सभी समा गए … सीमेंट फैक्ट्री विंध्य क्षेत्र के एक बड़े जिले में है … जबकि बुजुर्ग मंत्री वो हैं जिन्होंने अपने बयान पर माफी मांगी थी … दूसरे मंत्री वो हैं जिन्होंने विपक्ष के विधायकों को … पौने दो साल पहले आपरेशन लोटस में दल-बदल करवाने में … भोपाल, बंगलुरू और दिल्ली में महती भूमिका निभाई थी … तीसरे मंत्री रंगीन मिजाज के बताए जाते हैं और अपने लिए भोपाल के अलावा इंदौर, जबलपुर सहित कुछ और शहरों में सरकारी बंगले आवंटित करवा रखे हैं …