मप्र में बाल विवाह पर रोक नहीं लग पा रही

BHOPAL – तमाम प्रयास के बाद भी मप्र में बाल विवाह पर रोक नहीं लग पा रही हैं … बाल विवाह की कुप्रथा से मप्र के शहरी क्षेत्र भी अछूते नहीं हैं … गैर कानूनी घोषित किए जा चुके बाल विवाह शहरी क्षेत्रों में भी चोरी-छिपे हो रहे हैं … हाल ही में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि … मध्य प्रदेश में 23.1 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में कराई जा रही हैं … जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों की 26.6 फीसदी और शहरी क्षेत्रों की 13 फीसदी लड़कियां शामिल हैं … चौंकाने वाली बात तो यह हैं कि इनमें से 5.1 फीसदी लड़कियां बाल विवाह के बाद 15 से 19 साल की उम्र में ही मां बन चुकी हैं … हांलांकि इससे पहले के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में मप्र में बाल विवाह का आंकड़ा 32.4 फीसदी था … उस लिहाज से मप्र में इस बार बाल विवाह का आंकड़ा कुछ कम हुआ है … लेकिन अभी मप्र में 23.1 फीसदी लड़कियों का बाल विवाह होना चिंता की बात है … कम उम्र में लड़कियों का मां बन जाने से तमाम तरह की बीमारियां मां और नवजात शिशुओं को हो जाती हैं … बाल विवाह की रोकथाम करने की जिम्मेदारी विशेष तौर पर महिला एवं बाल विकास विभाग की है … इंदौर जैसे बड़े जिले में बाल विवाह के आंकड़े का प्रतिशत 21.7 है … हांलांकि इससे पहले के सर्वे में इंदौर जिले में बाल विवाह का प्रतिशत 23.4 था … उस लिहाज से बाल विवाह की रोकथाम इंदौर जिले में की गई … लेकिन अभी भी इंदौर जिले में 21.7 फीसदी बच्चियों की शादी 18 साल से कम उम्र में होना … सरकारी तंत्र की नाकामी की ओर इशारा कर रहा है … इधर लिंगानुपात और कुपोषण के मामले में मप्र की स्थिति पहले से बेहतर हुई हैं … लेकिन अभी इस दिशा में और काम करने की जरूरत है …नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में लिंगानुपात वर्ष 2020-21 में प्रति 1000 बेटों पर 956 बेटियों पर पहुंच गया है … जबकि वर्ष 2015-16 में प्रति एक हजार बेटों पर बेटियों की संख्या 927 थी … इसी तरह कुपोषण की दर में भी मप्र में 29.3 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी आई है … कुपोषण के मामले में देश के अन्य प्रदेशों की तुलना में प्रदेश की स्थिति में 13 रैंक का सुधार हुआ है … कुपोषण के मामले में मप्र 30वें स्थान से 17वें स्थान पर आ गया है … जहां देश में अति गंभीर कुपोषण 2.7 प्रतिशत बढ़ा है … वहीं मध्यप्रदेश में 29.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है …

– तमाम प्रयास के बाद भी मप्र में बाल विवाह पर रोक नहीं लग पा रही
– नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में ह
किया गया खुलासा
– मप्र में 23.1 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो रही
– ग्रामीण क्षेत्रों की 26.6 फीसदी और शहरी क्षेत्रों की 13 फीसदी लड़कियों की शादी 18 से कम उम्र में हो गई
– मप्र में बाल विवाह के बाद 5.1 फीसदी लड़कियां 15 से 19 साल की उम्र में ही मां बन चुकी
– इंदौर जैसे बड़े जिले में बाल विवाह के आंकड़े का प्रतिशत 21.7 है
– लिंगानुपात और कुपोषण के मामले में मप्र की स्थिति पहले से बेहतर हुई
– मप्र में लिंगानुपात वर्ष 2020-21 में प्रति 1000 बेटों पर 956 बेटियों पर पहुंच गया है
– मप्र में वर्ष 2015-16 में प्रति एक हजार बेटों पर बेटियों की संख्या 927 थी