सरकार OBC की क्रीमीलेयर की आय सीमा बढ़ाने का मन बना रही

– सरकार OBC की क्रीमीलेयर की आय सीमा बढ़ाने का मन बना रही
– OBC वर्ग के ज्यादा से ज्यादा लोग आरक्षण का लाभ ले सकें
– OBC वर्ग में अभी तक सालाना 8 लाख की आय वालों को ही आरक्षण का लाभ मिलता हैं
– सरकार इस लिमिट में इजाफा कर सालाना 12 लाख की आय वालों को आरक्षण देने पर विचार कर रही हैं
– OBC के लिए सालाना आय की गणना में वेतन और कृषि की आय को शामिल किया जाना चाहिए या नहीं
– खेती की आय को यदि सालाना आय में शुमार नहीं करें तो OBC वर्ग के ग्रामीण गरीबों को मदद मिलेगी
– आय सीमा की समीक्षा करने केंद्र सरकार ने सेवानिवृत्त सचिव के नेतृत्व में पैनल का गठन कर दिया
– पैनल को मापदंडों पर फिर से विचार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं
– क्रीमीलेयर की सालाना आय सीमा में इजाफा होने से OBC के बहुत बड़े वर्ग को आरक्षण मिलेगा
– OBC वर्ग को अभी उच्च शिक्षण संस्थानों और सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार में 27 फीसदी आरक्षण मिल रहा है
-आरक्षण का लाभ लेने शर्त है कि माता-पिता की सालाना आय 8 लाख से अधिक नहीं होना चाहिए
-OBC वर्ग के लिए इनकम क्राइटेरिया की आमतौर पर हर 3 साल में समीक्षा की जाती है
– वर्ष 2017 में OBC वर्ग के लिए सालाना आय का क्राइटेरिया 6 से बढ़ाकर 8 लाख कर दिया था
– वर्ष 2013 में OBC वर्ग के लिए सालाना आय का क्राइटेरिया साढ़े 4 लाख से 6 लाख रुपए हुई थी
bhopal – ओबीसी वर्ग के ज्यादा से ज्यादा लोग आरक्षण का लाभ ले सकें … इसके वास्ते सरकार ओबीसी की क्रीमीलेयर की सीमा बढ़ाने का मन बना रही है … अभी तक ओबीसी वर्ग में सालाना 8 लाख रुपए की आय वालों को ही आरक्षण का लाभ मिलता हैं … सरकार इस लिमिट में इजाफा कर सालाना 12 लाख की आय वालों को आरक्षण देने पर विचार कर रही हैं … हालांकि सरकार ने 3 साल पहले भी अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी की क्रीमलेयर के लिए … आय सीमा को बढ़ाने के संबंध में प्रयास किए गए थे … लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी थी … अब इस मुद्दे पर पुनर्विचार की पहल शुरू हो गई है … सरकार के स्तर पर विचार विमर्श किया जा रहा है कि … सालाना आय की गणना में वेतन और कृषि की आय को को शामिल किया जाना चाहिए या नहीं … सरकार का मानना है कि खेती की आय को यदि सालाना आय में शुमार न किया जाए तो इससे ओबीसी वर्ग के ग्रामीण गरीबों को मदद मिलेगी … ओबीसी की आय सीमा की समीक्षा करने के लिए किधर सरकार है सेवानिवृत्त सचिव बीपी शर्मा की अगुवाई में एक पैनल का गठन काफी पहले कर दिया था … इस पैनल को मापदंडों पर फिर से विचार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी … ओबीसी वर्ग क्रीमीलेयर की सालाना आय सीमा में इजाफा किया जाता हैं तो … ओबीसी के बहुत बड़े वर्ग को आरक्षण का फायदा मिलने लगेगा … इसका आने वाले चुनाव में सत्ताधारी दल को फायदा मिल सकता है … फिलहाल ओबीसी वर्ग उच्च शिक्षण संस्थानों और सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार में 27 फीसदी आरक्षण के हकदार है … लेकिन इसके लिए शर्त है कि माता पिता की सालाना वार्षिक आय 8 लाख रुपए से अधिक नहीं होना चाहिए … 8 लाख और उसे अधिक की सालाना आय वालों को रिमी लेयर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है … ओबीसी वर्ग के लिए इनकम क्राइटेरिया की आमतौर पर हर 3 साल में समीक्षा की जाती है … पिछली समीक्षा 2017 में हुई थी जब भाजपा की एनडीए सरकार ने ओबीसी वर्ग के लिए सालाना आय का क्राइटेरिया 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख रूपए कर दिया था … इसके पहले वर्ष 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने ओबीसी वर्ग के लिए सालाना आय का क्राइटेरिया साढ़े 4 लाख रुपए से बढ़ाकर 6 लाख रुपए कर दिया था … प्रदेश में ओबीसी की कुल आबादी 50.09 फीसदी है … ओबीसी आरक्षण को लेकर राजनीति चरम पर है। राज्य विधानसभा में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ था … रिपोर्ट के मुताबिक मप्र में अनुसूचित जाति (एससी) की आबादी 15.6 फीसदी है … इस वर्ग को 16 फीसदी आरक्षण मिल रहा है अर्थात अनुपात से 0.4 फीसदी ज्यादा … इसी तरह अनुसूचित जनजाति एसटी की आबादी 21.1 फीसदी है और … उसे 20 फीसदी आरक्षण मिल रहा है … यानी जनसंख्या अनुपात के 1.1 फीसदी कम …