-मप्र की प्राथमिक साख सहकारी समितियां नाबार्ड की मदद से ही कारोबार करती हैं
– नाबार्ड की रिफाइनेंसिंग से सहकारी बैंक और पैक्स किसानों को कर्ज देते है
-पिछले 2 साल से पैक्स की माली हालत की जानकारी नाबार्ड को नहीं दी गई
– प्रदेश के सभी पैक्स करीब 24,581 करोड़ के घाटे में हैं
-मप्र में 4,524 प्राथमिक साख सहकारी समितियां है
-इन समितियों के पास 1,330 करोड़ रुपए ही जमा पूंजी है
-समीतियों की जमा पूंजी की तुलना में 10 गुना 12,597 करोड़ राशि कर्ज में डूबी है
-मप्र की 2,392 प्राथमिक सहकारी साख समितियां घाटे में चल रही
-प्राथमिक सहकारी साख समितियों ने 20,964 करोड़ की राशि का कर्जा दे रखा
bhopal- मप्र की प्राथमिक साख सहकारी समितियां … राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक … नाबार्ड की मदद से ही … अपना कारोबार करती हैं … नाबार्ड की रिफाइनेंसिंग के जरिए … सहकारी बैंक और प्राथमिक साख सहकारी … समितियां किसानों को कर्ज देती है … बावजूद इसके मप्र की प्राथमिक साख … सहकारी समितियां अपनी माली हालत की … जानकारी नाबार्ड से ही छिपाती हैं … पिछले 2 साल से समितियों की माली हालत की … जानकारी नाबार्ड को नहीं दी गई … प्रदेश की सभी प्राथमिक साख सहकारी … समितियां करीब 24 हजार 581 करोड़ के घाटे में हैं … मप्र में 4,524 प्राथमिक साख सहकारी समितियां है … इन समितियों के पास 1,330 करोड़ रुपए ही जमा पूंजी है … जबकि जमा पूंजी की तुलना में 10 गुना … 12,597 करोड़ की राशि समितियों के … सदस्यों ने कर्ज लेकर दबा रखी है … मप्र की 2,392 प्राथमिक सहकारी … साख समितियां घाटे में चल रही है … इन समितियों ने 20,964 करोड़ की राशि का कर्जा दे रखा हैं … साल दर साल प्राथमिक साख सहकारी समितियों के … कर्ज की रिकवरी 35 फीसदी घट रही हैं … मप्र में 38 जिला सहकारी बैंक है इनमें से 12 घाटे में चल रहे … वर्ष 2019-20 में इनका कुल घाटा 4,844 करोड़ रुपए था … चौंकाने वाली बात तो यह है कि … 11 जिला सहकारी बैंक रेड जोन में हैं … इन बैंकों से कर्ज लेने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है … जिला सहकारी बैंक का जमा और कर्ज का … अनुपात या सीडी रेशियों 129.83 फीसदी है … यानी 100 रुपए जमा करवाकर … सदस्य 129.83 रुपए कर्ज ले रहे … इसी तरह मप्र राज्य सहकारी बैंक में … 100 रुपए जमा पर सदस्यों को …185 रुपए का कर्जा दिया गया … इन बैंकों को लाभ में लाने के लिए … रिकवरी बढ़ाना जरूरी है … लेकिन कर्ज माफी के इंतजार में … ज्यादातर किसान कर्ज चुकाते ही नहीं हैं …