यूरिया की काला-बाजारी पर होगी सख्त कानूनी कार्रवाई

भोपाल : प्रदेश में किसानों की माँग अनुसार यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। प्रदेश में बढ़ी हुई माँग अनुसार उर्वरक कम्पनियों द्वारा भी निरंतर यूरिया की आपूर्ति की जा रही है। इस वर्ष रबी सीजन में 31 दिसम्बर, 2018 तक 11.13 लाख मीट्रिक टन यूरिया प्रदेश में उपलब्ध करवाया जा चुका है। इसकी तुलना में पिछले वर्ष इसी अवधि तक 10.85 लाख मीट्रिक टन यूरिया प्रदेश को प्राप्त हुआ था।प्रदेश में यूरिया के प्रभावी वितरण और काला-बाजारी की रोकथाम के लिये किसान-कल्याण और कृषि विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने सभी जिला कलेक्टर को निर्देश भी जारी किये हैं। इसके पहले आज दतिया में यूरिया की काला-बाजारी के संबंध में दो वितरकों के विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3 और 7 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करवायी गयी है। इस कार्रवाई में साहिल ट्रेडर्स, दतिया के साहिल गुप्ता और राजेश इंटरप्राइजेज, दतिया के राजेश गुप्ता के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करायी गयी है। कृषि विभाग ने दतिया जिले के उप संचालक, कृषि आर.पी. गोयल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। श्री गोयल के विरुद्ध यह कार्रवाई दतिया जिले मंस उपलब्ध यूरिया की काला-बाजारी रोकने में असमर्थ रहने और जिले में यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद किसानों को उसका प्रभावी ढंग से वितरण न करने, अन्य प्रदेशों में यूरिया के अवैध परिवहन की रोकथाम में असफल रहने और बिना सक्षम अधिकारी की स्वीकृति प्राप्त किये अचानक अर्जित अवकाश पर जाने का कदाचरण प्रथम दृष्ट्या प्रतीत होने पर की गयी है।गोयल के स्थान पर जे.एन. सूर्यवंशी, उप संचालक किसान-कल्याण तथा कृषि विकास संचालनालय, भोपाल को तत्काल प्रभाव से स्थानांतरित करते हुए उप संचालक, दतिया पदस्थ किया गया है। इस संबंध में कृषि विकास और किसान-कल्याण विभाग ने यूरिया के समुचित और प्रभावी वितरण तथा काला-बाजारी की रोकथाम के लिये कलेक्टर्स को निर्देश जारी किये हैं। निर्देशों में कलेक्टर्स से कहा गया है कि उनकी अध्यक्षता में गठित जिला उर्वरक समिति उर्वरकों के वितरण पर निरंतर नजर रखे। इसके साथ ही समिति द्वारा नियमित रूप से कार्य की समीक्षा की जाये। रैक पाइंट से निकलने वाले यूरिया की आपूर्ति-स्थल पर पहुँचने की सतत मॉनीटरिंग की जाये। समिति द्वारा निजी एवं सहकारी उर्वरक भण्डार-केन्द्रों का सतत निरीक्षण किया जाये और उर्वरक स्टॉक का नियमित रूप से भौतिक सत्यापन सुनिश्चित किया जाये। निजी और सहकारी उर्वरक विक्रय केन्द्रों पर कर्मचारियों की ड्यूटी लगायी जाये।