शिवसेना ने बुलाई बैठक, बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर हो सकता है फैसला

मुंबई: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के साथ गठबंधन पर पार्टी के रुख को स्पष्ट करने के लिए पार्टी नेताओं और सांसदों की बैठक बुलाई है. बैठक सोमवार को मुंबई में उनके निवास ‘मातोश्री’ में होगी. बीजेपी के साथ गठबंधन से अलग होने की अफवाहों के बीच यह बैठक काफी अहम है. शिवसेना के कुछ सांसदों ने भाजपा के साथ गठबंधन नहीं होने को लेकर उद्धव ठाकरे के साथ अपनी चिंता व्यक्त की है.विशेष रूप से पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के सांसदों को डर है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए शिवसेना और बीजेपी अलग-अलग मैदान में उतरेंगे, तो दोनों पार्टियों को नुकसान होगा. वहीं, सोमवार को बीजेपी की राज्य कोर कमेटी की बैठक महाराष्ट्र के जलाना में होगी. इस बैठक में भी शिवसेना के साथ गठबंधन को लेकर अहम निर्णय लिया जा सकता है. फिलहाल, शिवसेना और बीजेपी के बीच गठबंधन की वार्ता इस समय रूकी हुई है. बीते दिनों में शिवसेना और उद्धव ठाकरे ने बीजेपी और प्रधानमंत्री हमले तेज कर दिए है, ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि दोनों पार्टियों में गठबंधन बस औपचारिक रह गया है. हालांकि बीजेपी नेता यह कहते रहे हैं कि शिवसेना के साथ अंदरखाने बातचीत जारी है और पार्टी की इच्छा है कि वह लोकसभा चुनाव शिवसेना के साथ लड़े.सूत्रों ने यह भी कहा कि अगर शिवसेना आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उसके साथ रहती है तो बीजेपी मुख्यमंत्री पद को साझा करने पर भी राजी है. वहीं, शिवसेना के भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक, पार्टी को डर है कि बीजेपी लोकसभा चुनाव के लिए शिवसेना का उपयोग कर सकती है और विधानसभा चुनाव के समय गठबंधन से अलग हो सकती है.मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की हार के बाद शिवसेना ने सोचा कि महाराष्ट्र में बीजेपी झटपट गठबंधन कर लेगी, जैसे बिहार में जेडीयू के साथ किया था, लेकिन बीजेपी नेतृत्व फिलहाल जल्दबाजी के मूड में नहीं है. इस बीच शिवसेना ने राम मंदिर का मुद्दा भी उठाया. यह सोचते हुए कि जल्दबाजी में बीजेपी चुनाव से पहले इस मुद्दे को हल करने के लिए अध्यादेश पारित करेगी, जो गठबंधन के लिए रास्ता साफ कर सकता है, लेकिन प्रधानमंत्री ने अध्यादेश लाने के किसी भी विचार से इनकार कर दिया.कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र में बीजेपी कार्यकर्ता की बैठक में बोलते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि अगर गठबंधन होता है तो पार्टी अपने सहयोगी दलों की जीत सुनिश्चित करेगी और अगर ऐसा नहीं होता है तो पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों में अपने पूर्व सहयोगियों को करारी शिकस्त देगी. इस बयान के बाद दोनों पार्टियों के बीच जुबानी जंग तेज हो गई थी और गठबंधन की बात बंद हो गई थी