CM योगी के लिए खतरे की घंटी

नई दिल्ली     :     उत्तर प्रदेश की विधानसभा में मंगलवार को जो हुआ वो सूबे की राजनीति की एक ऐसी घटना थी जिसे हमेशा याद रखा जाएगा. याद इस लिहाज से कि एक तरफ उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार और सुरक्षा के मुद्दे पर विधानसभा में सरकार की उपलब्धियां गिना रही थी, दूसरी तरफ बीजेपी के ही विधायक नंद किशोर गुर्जर अपनी सरकार से सवाल कर रहे थे कि आखिर क्यों उन्हें पुलिस और प्रशासन की तरफ से प्रताड़ित किया जा रहा है.नंद किशोर गुर्जर गाजियाबाद के लोनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. नंद किशोर विधानसभा में अपनी आवाज नहीं उठा पाए, जिसके बाद वह सदन में ही धरने पर बैठ गए और उनके समर्थन में बीजेपी के करीब 200 और विधायक भी धरने पर बैठ गए. शाम 6 बजे के बाद किसी तरह उन्हें न्याय का आश्वासन देकर विधानसभा से उठाया गया, लेकिन विधानसभा के इतिहास की ये अभूतपूर्व घटना अपने आप मे बहुत कुछ बयां कर गई.इस घटना के गंभीर मायने हैं. लेकिन उसपर नजर डाले इससे पहले ये समझना जरूरी है कि आखिरकार विधायक नंद किशोर गुर्जर की व्यथा क्या है,  जिसके सहारे किसी बड़े मकसद का ये सारा माहौल पैदा हुआ. विधायक धरने पर बैठे और सरकार के लिए असहज हालात पैदा किए. यहां सवाल ये नहीं है कि सत्तापक्ष के एक विधायक ने अपनी सरकार में व्यवस्था पर सवाल उठा दिया. सवाल उससे आगे ये भी है कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर ऐसा क्यों हुआ और इसके वास्तविक मायने क्या हैं? नंद किशोर गुर्जर की तकलीफ के मुताबिक, लोनी इलाके में एक फूड इंस्पेक्टर ने गलत लोगों को गलत तरीके से मीट व्यवसाय के लिए लाइसेंस दिया था. उन्होंने इसके लिए आवाज उठाई. आरोप है कि विधायक ने फूड इंस्पेक्टर के साथ मारपीट की. इसी आरोप में विधायक और उनके समर्थकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया.  विधायक की शिकायत है कि इस मामले में उनकी बात ही नहीं सुनी गई और प्रशासन ने उन्हें निशाने पर ले लिया. नंद किशोर का आरोप ये भी है कि जब इस बारे में उन्होंने विधानसभा में अपनी बात रखने की कोशिश की तो उन्हें बोलने नहीं दिया गया.नंद किशोर बताते हैं कि इलाके के अधिकारी पूरी तरह से भ्रष्टचार में डूबे हैं और खुलेआम कहते हैं कि पहले की सपा-बसपा की सरकारों मे सरकारी कार्यो में चौबीस परसेंट का कमीशन चलता था और अब ये कमीशन अट्ठारह परसेंट हो गया है. ये बात उन्होंने बुधवार को सदन में भी कही.विधायक के ये आरोप गंभीर भी हैं और सरकार की भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर धब्बा भी. लेकिन बात यहीं नहीं खत्म होती. बात इससे भी आगे बढ़ गई जब नंद किशोर गुर्जर को विधानसभा में ना बोलने देने पर बीजेपी के करीब 200 विधायक धरने पर बैठ गए. ये बेहद गंभीर इशारा है.इससे कई सवाल उठते हैं जो योगी आदित्यनाथ के लिए बेचैनी का सबब हो सकते हैं. इस मामले में विपक्ष को किसी बड़ी योजना की बू आ रही है.