RBI ने बैंकों को डिविडेंड देने से रोका

UMESH NIGAM

मुंबई    :     कोरोना संकट के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक बार फिर देश की इकोनॉमी को बूस्टर डोज दिया है. इस बार आरबीआई गवर्नर ने बाजार में नकदी बढ़ाने के लिए रिवर्स रेपो रेट में कटौती की है तो वहीं ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी संस्थाओं को बड़ी रकम देने का ऐलान किया है. इसके अलावा आरबीआई ने एक ऐसा फैसला लिया है, ​जो फिलहाल सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.आरबीआई गवर्नर ने बैंकों से कहा है कि वो अगले नोटिस तक डिविडेंड यानी मुनाफे का पेमेंट न करें. ये बैंकों के लिए राहत की बात जरूर है लेकिन सरकार के लिए एक बड़ा झटका है. दरअसल, पब्लिक सेक्टर के बैंकों की ओर से सरकार को डिविडेंड (मुनाफा) दिया जाता है. अब सरकार को बैंक से यह भारी भरकम डिविडेंड (मुनाफा) नहीं मिल पाएगा. पहले से ही कोरोना महामारी के चलते आर्थिक दिक्कत में फंसी सरकार के लिए यह झटका है.हालांकि, इकोनॉमी के लिहाज से देखा जाए तो आरबीआई का यह कदम काफी अहम माना जा रहा है. वहीं आरबीआई के इस फैसले से बैंकों के पास हजारों करोड़ रुपये का डिविडेंड (मुनाफा) बचेगा और इससे बैंक का कैपेटिलाइजेशन मजबूत होगा. इससे बैंकों की कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी.  उन्होंने देश की इकोनॉमी को दुरुस्त करने के लिए आरबीआई की तैयारियों के बारे में बताया. इसके साथ ही बैंकों और ग्राहकों के लिहाज से भी कुछ खास ऐलान किए. इनमें सबसे बड़ा ऐलान रिवर्स रेपो रेट में कटौती का रहा. ऐसे में सवाल है कि रिवर्स रेपो रेट कटौती के पीछे आरबीआई का मकसद क्या है और इसका ग्राहकों को क्या फायदा होगा. इसी सवाल का जवाब हम आपको देंगे.इसके नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि यह रेपो रेट से उलट है. दरअसल, बैंकों को आरबीआई के पास रकम जमा करना होता है. इस रकम पर आरबीआई, बैंकों को ब्याज देता है. जितना ज्यादा रिवर्स रेपो रेट होता है, बैंकों को उतना ही मुनाफा होता है. वहीं जब रिवर्स रेपो रेट में कटौती होती है तो बैंकों को आरबीआई से मिलने वाला मुनाफा कम हो जाता है.जब भी आरबीआई को लगता है कि बाजार में नकदी की उपलब्धता बढ़ रही है तो रिवर्स रेपो रेट बढ़ा दिया जाता है. इसका मकसद होता है कि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम आरबीआई के पास जमा करा दें. लेकिन जब बाजार में नकदी का संकट होता है तो आरबीआई रिवर्स रेपो रेट में कटौती कर देता है.