भारत पहुंचे सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, पीएम मोदी ने किया स्वागत

नई दिल्ली: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अपनी दो दिवसीय यात्रा पर मंगलवार देर शाम भारत पहुंचे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पालम हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया. दक्षिण एशियाई देशों के दौरे पर निकले सऊदी प्रिंस का भारत दौरा ऐसे समय हुआ जब जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है. लिहाजा दोनों देशों के बीच आतंकवाद का मुद्दा छाए रहने की उम्मीद है. इसके बावजूद दोनों देशों के बीच कुछ ऐतिहासिक आर्थिक करार होंगे.भारत आने से पहले सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान रविवार को पाकिस्तान पहुंचे थे. लेकिन वे सोमवार को सऊदी अरब वापस लौट गए. भारत ने उनके पाकिस्तान से सीधे आने पर आपत्ति जताई थी. मोहम्मद बिन सलमान के भारत आने से पहले सऊदी अरब के विदेश मंत्री अदेल अल जुबैर ने सोमवार को कहा कि रियाद, पुलवामा में हुए आतंकी हमले के मद्देनजर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम कराने का प्रयास करेगा. सऊदी प्रिंस के भारत दौरे के दौरान पर्यटन, हाउसिंग, सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश को लेकर 5 समझौते होंगे. इसके अलावा रक्षा और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग पर भी चर्चा संभव है. विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में बताया गया है कि सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर भारत आए हैं. इससे पहले दोनों नेताओं के बीच ब्यूनस आयर्स में जी-20 की बैठक के दौरान पिछले साल मुलाकात हुई थी. वहीं साल 2016 के सऊदी अरब दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी के सुल्तान और क्राउन प्रिंस के बीच मुलाकात हुई थी. प्रिंस सलमान का यह पहला भारत दौरा है. बुधवार को हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और क्राउन प्रिंस के बीच शिष्टमंडल स्तर की वार्ता होगी. जिसमें भारत पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का मुद्दा जोरशोर से उठाएगा. इसके बाद प्रधानमंत्री ने प्रिंस के सम्मान में भोज का कार्यक्रम रखा है. वहीं शाम को प्रिंस सलमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगे. गौरतलब है कि सऊदी अरब उर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में भारत के लिए अहम देश है. जो भारत के लिहाज से कच्चे तेल में 17 फीसदी और एलपीजी में 32 फीसदी आवश्यकता की पूर्ति करता है. हाल ही में दोनों देशों के बीच महाराष्ट्र के रत्नागिरी रिफाइनरी और पेट्रो केमिकल प्रोजेक्ट में 44 अरब डॉलर के निवेश पर समझौता हुआ था. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस में भी सऊदी अरब के शामिल होने की संभावना है.