इनकम टैक्स दर में हो सकती है कटौती

नई दिल्ली   :     केंद्र सरकार सुस्त पड़ रही अर्थव्यवस्था को फिर से रफ्तार देने के लिए तमाम कदम उठा रही है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बताया कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए इनकम टैक्स की दरों को तर्कसंगत बनाने समेत कुछ अन्य उपायों पर काम किया जा रहा है.दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में निर्मला सीतारमण ने कहा, सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए अगस्त और सितंबर में कई उपाय किए हैं. इसके अलावा सरकारी बैंकों ने सावधानी से समझौता न करते हुए उपभोग को बढ़ावा देने के लिए दूर-दराज के इलाकों में पिछले दो महीने में करीब पांच लाख करोड़ रुपये वितरित किए हैं.निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘ये तरीके हैं जिनसे उपभोग को बढ़ावा दिया जा सकता है. हम एक प्रत्यक्ष तरीका अपना रहे हैं और बुनियादी ढांचा पर खर्च बढ़ाने का तरीका भी अपना रहे हैं, जिसका असर बुनियादी उद्योगों और श्रमिकों तक पहुंचता है.’यह पूछे जाने पर कि क्या आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के अन्य उपाय किए जा सकते हैं, उन्होंने कहा, ‘यदि मैं हां कहती हूं, तब पूछा जाएगा कि कब. फिर पूछा जाएगा कि क्या हम बजट के काफी पास नहीं पहुंच गए हैं. लिहाजा मैं हां नही कह सकती, पर मेरी इच्छा है कि मैं हां कह सकूं. इसके साथ ही मैं नहीं भी नहीं कहूंगी क्योंकि हम और उपायों पर काम कर रहे हैं.’इनकम टैक्स की दरों को तर्कसंगत बनाने के सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा, ‘यह उन विभिन्न उपायों में से एक है, जिनके ऊपर हम विचार कर रहे हैं.’ कॉरपोरेट टैक्स की दरों में कटौती के बाद यह मांग बढ़ रही है कि इनकम टैक्स की दर को भी घटाया जाए ताकि लोगों की क्रयशक्ति बढ़ सके और उपभोक्ता मांग में सुधार हो.निर्मला सीतारमण ने आश्वासन दिया कि टैक्स देने वालों को परेशान नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा है कि टैक्स सिस्टम और अधिक सरल बनने. सरकार विभिन्न प्रकार की छूटों को भी हटाना चाहती है. उन्होंने कॉरपोरेट टैक्स का उदाहरण देते हुए कहा, ‘अब ये कर अधिक सरल और छूटों से मुक्त व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं. इस कारण व्यवस्था तंग किए जाने और नियम/कायदे की व्याख्या में मनमानी की शिकायतों से मुक्त हो रही है.’वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने करदाताओं को परेशानी से बचाने के लिए डायरेक्ट टैक्स का बिना भौतिक उपस्थिति के विश्लेषण शुरू किया और इसे जल्दी ही इनडायरेक्ट टैक्स के मामले में भी शुरू किया जा सकता है.सीतारमण ने माल एवं सेवा कर (GST) के बारे में कहा कि इसकी दर की संरचना पर जीएसटी परिषद निर्णय करेगी. उन्होंने कहा कि ”अंतत: टैक्स को और तार्किक तथा पूरी कर प्रणाली को और अधिक सरल बनना ही होगा.’ उन्होंने कहा, ‘जहां तक इस कर (जीएसटी) की बात है तो यह जटिल हो रहा है. इसका कारण है कि दरों को अव्यवस्थित ढंग से कम किया जा रहा है. यह इस लिए भी जटिल हो रही क्योंकि अब आप को यह आश्वस्त होना पड़ रहा कि आप जो कर रहे हैं उसमें सब कुछ सही है. इसमें एक प्रौद्योगिकी संचालित प्रणाली के तहत आप को पहले से ज्यादा सूचनाएं देने को कहा जा रहा है. लोग इतनी अधिक सूचनाएं मांगे जाने से उकता जाते हैं. ऐसे में हमारी समस्या दोनों तरफ से है.’डेटा की प्रमाणिकता के बारे में कयासों पर पूछे जाने पर सीतारमण ने कहा, ‘‘इसमें कोई शक नहीं है कि हमें डेटा को विश्वसनीय बनाना होगा.’’उन्होंने कहा कि सरकार इस बहस से अवगत है. हमें बेहतर विश्वसनीयता की दिशा में काम करना होगा. हमें बिना अवरोध के डेटा उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने की जरूरत है.