न्याय व्यवस्था में समानता लाना सबसे बड़ी चुनौती : CM

भोपाल      :      मुख्यमंत्री  कमल नाथ ने कहा है कि आज के संदर्भ में मजबूत जन-तंत्र के लिए न्याय पालिका, कार्यपालिका और विधायिका में सुधार लाने की जरूरत है। सबको न्याय मिले, समय पर मिले, इसमें समानता हो, आज हमारे सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश विधानसभा सभागार में कॉन्फेडरेशन ऑफ एल्युमिनी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी फाउंडेशन (कॉन) द्वारा आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।मुख्यमंत्री  कमल नाथ ने कहा कि हमारी मौजूदा व्यवस्था को हर क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों के संदर्भ में देखना होगा। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता और समानता हमारे देश की एकता का आधार है, जिसे हम न्याय व्यवस्था के जरिए लोगों को उपलब्ध करवाते हैं। कमल नाथ ने कहा कि पूरे विश्व में भारत जैसा कोई देश नहीं है और न ही भारत जैसा किसी देश का संविधान है। उन्होंने कहा कि जब भारत आजाद हुआ, तो संविधान बनाने की चुनौती थी। यह सबसे बड़ी चुनौती थी क्योंकि भारत विविधताओं का देश है। उत्तर से दक्षिण तक खाने और पहनावे में ही विविधताएं हैं। बोलियों और संस्कृतियों तथा रीति-रिवाजों में विविधता है। ऐसे देश के लिए एक संविधान बनाना चुनौतीपूर्ण काम था। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी संविधान से कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका अस्तित्व में आई और कानून का शासन जैसे मूल तत्व हमें मिले। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज यह चुनौती है कि दुनिया में हो रहे परिवर्तनों के साथ हम कैसे चलें और कैसे उन्हें अपनाने में कामयाब हों। एक चुनौती यह भी है कि परिवर्तनों को देखते हुए किस प्रकार के सुधार कार्यपालिका और न्यायपलिका में करें। उन्होंने कहा कि हमारे पास उद्यमियों की सबसे बड़ी संख्या है। सबसे विशाल युवा मानव संसाधन है। अब से दस साल पहले ज्ञान और टेक्नोलॉजी तक युवाओं की पहुँच सीमित थीं। आज इंटरनेट की वजह से यह बढ़ गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परिवर्तन को न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका को कैसे अपनाना चाहिए, यह चुनौती है।