पुलवामा पर क्यों खामोश हैं इमरान खान? पाक पर FATF से ब्लैकलिस्ट होने का खतरा

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले से पूरा देश स्तब्ध है. संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिका, रूस और फ्रांस जैसे देशों ने इस घटना की निंदा की है और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के समर्थन की बात कही है. लेकिन आम तौर पर हर मौके पर बोलने वाले, अमनो-अमान की बात करने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस हमले को लेकर चुप्पी साध रखी है. पुलवामा में यह आतंकी हमला तब हुआ है जब आज से (रविवार) से पेरिस में फायनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की 5 दिवसीय बैठक होनी है. जिसमें पाकिस्तान पर भारत समेत तमाम देशों ने आतंकी फंडिंग के सबूत पेश किए हैं. लिहाजा एफएटीएफ की बैठक से पहले इसे इमरान की कूटनीतिक चुप्पी समझा जा सकता है.विदेश मामलों के जानकार और पाकिस्तान पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार कमर आगा ने ‘आजतक’ से बातचीत में कहा है कि पाकिस्तान इस वक्त आर्थिक संकट से जूझ रहा है. ऐसे में भारत-पाक के बीच तनाव की स्थिति इस्लामाबाद को सूट करती है. क्योंकि इससे फोकस कहीं और शिफ्ट हो जाएगा और पाकिस्तान यही चाहता है. कमर आगा ने कहा कि पाकिस्तान पहले से ही एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट यानी निगरानी सूची में शामिल है. ऐसे में पेरिस में आज होने वाली यह बैठक और अहम हो जाती है जब अमेरिका, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी समेत तमाम देशों ने पाकिस्तान को अपनी जमीन से आतंकवाद को खत्म करने की बात कही है.इधर भारत भी एफएटीएफ (FATF) की बैठक के मद्देनजर सक्रिय हो गया है. पुलवामा हमले के बाद तमाम एजेंसियों पाकिस्तान के खिलाफ सबूतों का डोजियर तैयार कर विदेश मंत्रालय को सौंपने को कह दिया गया है. इससे पहले सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में पाकिस्तान को दिया गया मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का स्टेटस वापस ले लिया गया है. जिससे पाक से आयात होने वाली किसी भी वस्तु पर अब 200 फीसदी कस्टम ड्यूटी लगेगी. अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच भारत का यह प्रयास रहेगा कि पहले से ही आर्थिक मोर्चे पर जूझ रहे पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग किया जाए. कमर आगा कहते हैं इमरान खान इस बैठक के खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं. क्योंकि इस्लामाबाद ने आतंक की फंडिंग रोकने के लिए एक ब्लू प्रिंट पिछली बैठक में एफएटीएफ को सौंपा था.बता दें कि एफएटीएफ की पिछली बैठक में पाकिस्तान को ग्रे-लिस्ट में शामिल किया गया था. इस बैठक में भारत समेत दुनिया के अन्य देशों ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों द्वारा धन उगाही और बैंकिंग सिस्टम के उपयोग करने के सबूत पेश किए. जबकि संयुक्त राष्ट्र ने इन आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगा रखा है. पाकिस्तान लगातार इस सूची से बाहर निकलने का प्रयास कर रहा है. लेकिन पुलवामा हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद द्वारा लिए जाने के बाद पाक की राह एफएटीएफ में आसान नहीं रहने वाली.