दक्षिण अफ्रीका से चीतों के आने पर फिर लगा ग्रहण

UMEH NIGAM

BHOPAL – दक्षिण अफ्रीका से चीतों के आने पर एक बार फिर कोरोना संक्रमण ने ग्रहण लगा दिया है … चीतों को मप्र के कूनो-पालपुर सेंचुरी में लाने से पहले मप्र के वन विभाग का अमला चीतों के रहवास और ईको सिस्टम सहित अन्य वातावरण को दक्षिण अफ्रीका जाकर देखना चाहता था … जिससे अफ्रीकन चीतों को वहां की तरह रहवास और ईको सिस्टम मप्र के कूनो-पालपुर सेंचुरी में उपलब्ध कराया जा सके … इसी साल नवंबर के अंतिम सप्ताह में मप्र के वन विभाग के दल ने दक्षिण अफ्रीका जाएगा की पूरी तैयारी कर ली थी … लेकिन दक्षिण अफ्रीका में कोरोनावायरस के नए वैरिएंट के चलते … हाहाकार मचने से मप्र के वन विभाग के दल ने … दक्षिण अफ्रीका का दौरा फिलहाल टाल दिया गया है … अब वन विभाग के दल को दक्षिण अफ्रीका में कोरोनावायरस के नए वैरिएंट के समाप्त होने का इंतजार करना होगा … मप्र को देने के लिए दक्षिण अफ्रीका गवर्नमेंट के फारेस्ट डिपार्टमेंट ने अपने जंगलों से 16 चीते काफी पहले ही पकड़ लिए थे … हालांकि मध्य प्रदेश का वन विभाग दक्षिण अफ्रीका से पहले दौर में केवल 10 जीते ही लेगा … सबसे पहले मप्र के वन विभाग के दल को इसी साल अगस्त महीने में दक्षिण अफ्रीका जाना था लेकिन दक्षिण अफ्रीका में अगस्त में कोरोनावायरस ही फैला हुआ था इसलिए वन विभाग ने अपने कर्मचारियों को दक्षिण अफ्रीका नहीं भेजा … इसी वजह से इस साल नवंबर में दक्षिण अफ्रीका से चीजें नहीं आ पाए … दक्षिण अफ्रीका में कोरोना की स्थिति ठीक होते ही इस साल नवंबर महीने में मप्र के वन विभाग के दल ने दक्षिण अफ्रीका जाने का प्रोग्राम बना लिया था … लेकिन इसी बीच दक्षिण अफ्रीका में कोरोनावायरस के नए वैरिएंट ने हाहाकार मचा दिया … जिससे एक बार फिर वन विभाग के दल को प्रोग्राम टालना पड़ा … दक्षिण अफ्रीका से आने वाले 10 चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो-पालपुर में बसाया जाएगा … इन चीतों के आने के बाद देश में 74 साल बाद चीते नजर आएंगे … अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वन्यजीवों के लिए काम करने वाली संस्था के सहयोग से … मध्यप्रदेश की सरकार दक्षिण अफ्रीका से चीते ला रही है … पूरी दुनिया में इस समय करीब 7 हजार चीते हैं … इसमें से 80 फ़ीसदी चीते दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया में है … इन चीतों के लिए कूनो-पालपुर में 12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बाड़ा बनाया गया है … इस पूरे बाड़े में सोलर फेंसिंग लगाई गई है … मादा और नर चीतों को अलग-अलग रखा जाएगा … इसकी वजह है कि यह दोनों एक दूसरे के प्रति बहुत ज्यादा आक्रमक होते हैं … मैटिंग के दौरान ही इनका आमना-सामना होता है … चीतों की बसाहट के लिए कूनो-पालपुर को सबसे मुफीद माना गया था … भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञों के एक दल ने … पिछले साल प्रदेश के चार स्थानों का दौरा किया था … जिसमें श्योपुर जिले के कूनो-पालपुर के अलावा सागर जिले के … नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण और नीमच-मंदसौर जिले के … माधव राष्ट्रीय उद्यान शामिल थे …

– दक्षिण अफ्रीका से चीतों के आने पर फिर लगा ग्रहण
– कोरोना का नए वैरिएंट मिलने से वन विभाग के अफसरों का दक्षिण अफ्रीका जाना टला
– इसी साल नवंबर के अंतिम सप्ताह में वन विभाग के दल को जाना था दक्षिण अफ्रीका
– दक्षिण अफ्रीका से पहले दौर में आना हैं मप्र के कूनो-पालपुर में 10 अफ्रीकन चीतें
– अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वन्यजीवों के लिए काम करने वाली संस्था के सहयोग से मप्र की सरकार चीते ला रही है
– मप्र सरकार और दक्षिण अफ्रीका सरकार के बीच चीतों के लिए एग्रीमेंट हुआ है
– अफ्रीकन चीतों के लिए कूनो-पालपुर में 12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बाड़ा बनाया गया है
– पूरी दुनिया में करीब 7,000 चीते हैं, इसमें से 80 फ़ीसदी चीते दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया में है